माईक्रो प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने सफलतापूर्वक जोड़ी युवक की तीन ऊंगलियां
फरीदाबाद। सेक्टर-16ए स्थित मैट्रो अस्पताल ने घुटना प्रत्यारोपण के क्षेत्र में ‘नी फार लाईफ’ की परिकल्पना के साथ एक क्रांतिकारी पहल करते हुए एक नए अध्याय की शुरुआत की है। अस्पताल के वरिष्ठ जोड़ प्रत्यारोपण सर्जन डा. सुजॉय भट्टाचार्य व अमेरिका के डा. जोसेफ जॉन जेनकोविच के अनुसार 3डी तकनीक का प्रयोग करके घुटना प्रत्यारोपण तकनीक को अत्याधुनिक और काफी कारगर बना दिया है। सेक्टर-21ए स्थित होटल पार्क प्लाजा में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान डा. सुजॉय भट्टाचार्य ने बताया कि इस विधि में कंप्यूटर असिस्टेट 3डी तकनीक का प्रयोग किया जाता है और 3डी नी आर्मर कोट सिस्टम के इस्तेमाल से बिल्कुल प्राकृतिक तरीके से होने वाला घुटने की मूवमेंट संभव है। उन्होंने बताया कि सफल जोड़ प्रत्यारोपण के लिए गैप बैलेसिंग, जोड़ का सही एलाईनमेंट और इम्पलान्ट का अह्म रोल है, कंप्यूटर असिस्टेट 3डी तकनीक द्वारा गैप बैलेसिंग तथा एलाईनमैंट के क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार आया है। उन्होंने बताया कि 3डी नी आर्मर कोट सिस्टम से प्रत्यारोपित घुटने की परफार्मेस में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। इस सिस्टम में घुटने का घिसाव 92 प्रतिशत कम होता है, जो कि लेबोरेट्री प्रमाणित तथ्य है। डा. भट्टाचार्य ने बताया कि इस तरह के प्रत्यारोपित घुटने से पहले की चलने-फिरने, उठने-बैठने की प्रक्रिया भी पूरी तरह से संभव है। अमेरिका से आए हुए वरिष्ठ प्रत्यारोपण सर्जन डा. जोसेफ जैनकोविच ने बताया कि अमेरिका में इसी अत्याधुनिक तकनीक से आप्रेशन किए जा रहे है और अब मेट्रो अस्पताल में इसी अत्याधुनिक तकनीक से आप्रेशन किए जा रहे है। मेट्रो अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा. एस.एस. बंसल ने बताया कि अस्पताल में इस तरह की तकनीक होने से मरीजों को ज्यादा फायदा मिल जाएगा और प्रत्यारोपित घुटना लम्बे समय तक और ज्यादा बेहतर तरीके से काम करेगा। उधर मेट्रो अस्पताल की माईको प्लास्टिक टीम ने पावर प्रेस में आकर पूर्णतया कटी हुई एक नवयुवक की तीन ऊंगलियों को पुन: जोडऩे में सफलता हासिल की है। अस्पताल के वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डा. कावेश्वर ने बताया कि 24 वर्षीय युवक को कटी हुई ऊंगली के साथ गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया। उन्होंने व डा. गरिमा एवं उनकी टीम ने 10 घण्टे लम्बी सर्जरी के पश्चात युवक की ऊंगली को सफलतापूर्वक जोड़ दिया। ऑप्रेशन के बाद मरीज 5 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहा और अगले एक माह तक मरीज का हाथ स्लैब स्र्पोट पर रहेगा उसके पश्चात मरीज की फिजियोथैरेपी शुरू की जाएगी और संपूर्ण प्रक्रिया के बाद मरीज फिर से अपनी ऊंगलियां का इस्तेमाल पहले की तरह कर पाएगा। डा. कावेश्वर ने बताया कि यह आप्रेशन हमने माईक्रो सर्जरी तकनीक द्वारा सफलतापूर्वक किया है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि फरीदाबाद एक इंडस्ट्रीज एरिया है, जहां अक्सर ऐसे हादसे होते रहते है और इसको लेकर मेट्रो अस्पताल फरीदाबाद में अत्याधुनिक माइक्रोस्कोप उपलब्ध है, जिसकी मदद से हमने धमनियों, नसों, तंत्रिकाओं को दुबारा से जोड़ सकते है इसलिए अगर ऐसी घटना में 2-3 घण्टे के अंदर पीडि़त को अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी ऊंगलियों का आप्रेशन करके उन्हें पुन: 100 प्रतिशत तक ठीक किया जा सकता है। मेट्रो अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा. एस.एस. बंसल ने अस्पताल की माइक्रो प्लास्टिक सर्जरी विभाग द्वारा युवक के सफल आप्रेशन पर बधाई देते हुए कहा कि भविष्य में भी वह ऐसे गंभीर मामलों को बेहतर तरीके और सूझबूझ से सफलतापूर्वक अंजाम देंगे। इस मौके पर अस्पताल के मेडिकल सुपरीडेंट डा. नीरज जैन, डा. शैलेंद्र कुमार भी मुख्य रुप से मौजूद थे।