फरीदाबाद। एसआरएस धोखाधडी मामलें में पुलिस की भूमिका पर प्रश्रचिन्ह लग गया है। डीसीपी पुलिस मुख्यालय विक्रम कपूर प्रैस-वार्ता में पत्रकारों के किसी भी सवाल का सीधे तौर पर जवाब ही नही दे पाए या फिर कहे जवाब नही देना चाहते थे। इतना ही नही मामलें पर वह किसी ठोस सबूत की बात बताने को तैयार हुए । बस प्रैस-वार्ता कर खानापूर्ति कर दी गई जबकि वास्तिवक स्थिती के स्पटीकरण से वह जानबूझ कर अपने आप को बचाते हुए ही दिखाई पडे। इतना ही नही अन्य मामलों में पुलिस खुद आरोपियों को मीडिया के समक्ष लाकर वाहवाही लूटती आई है पर इस मामलें में जिस तरह से पुलिस आरोपियों को मीडिया के सामने लाने से गुरेज बरत रही है वह सशंय की स्थिती पैदा करती है। इकनोमिक सैल में भी आरोपी अनिल जिंदल को मीडिया से दूर रखने की कोशिश की जा रही थी। वही पुलिस का दावा है कि उनके द्वारा छानबीन आरोपियों के गिरफ्तारी के लिए विभिन्न क्षेत्रों में दबिश देती रही पर सूत्रों की माने तो सभी आरोपियों ने पुलिस के समक्ष स्वंय गिरफ्तारी दी है जिसे पुलिस जानबूझ छुपाने का प्रयास कर जनता के सामने अपनी पीठ थपथपाना चाह रही है। अभी हालफिलहाल में कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर ने एसएसआर पीडित मंच को अपना समर्थन देते हुए इस मामलें में आरोपी अनिल जिंदल की गिरफ्तारी की मांग कर डाली। उनके समर्थन के बाद अचानक पुलिस ने गर्मजोशी के साथ सभी आरोपियों को रहस्मय तरीके से गिरफ्तार कर लिया। अचानक गिरफ्तारी को लेकर पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने लगे है। पिछले मार्च में मुकदमे दर्ज होने के बाद से ही सभी आरोपी फरार चल रहे थे। विदित हो कि अनिंल जिंदल ने एसआरएस कंपनी बनाकर रिटेल, सिनेमा,ज्वेलरी एवं प्रॉपटी सहित अनेक व्यवसाय को चलाया हुआ था। अपने विभिन्न व्यवसाय को चलाने के लिए उसने लोगों से हजारों करोडों का निवेश करवाया हुआ था जिसके लिए वह उन्हे बकायदा ब्याज भी देता रहा था परन्तु 2015 के बाद से उसने लोगों द्वारा लगाए गए रूपयों पर ब्याज देनेा बंद कर दिया। उसके बाद से ही लोग इस बात को लेकर सडकों पर उतर आए तथा इस मुद्दे ने विकराल रूप धारण कर लिया। पुलिस भी गु्रप के खिलाफ आने वाली सभी शिकायतों पर खास ध्यान नही दे रही थी। बताया यह भी जा रहा है कि एसआरएस ग्रुप में कुछ बडे अधिकारियों का रूपयें भी लगे हुए थे ,जिसके चलते इस मामलें में पुलिस की रफ्तार धीमी चल रही थी। माना यह भी जा रहा है कि यह गिरफ्तारी पूर्ण नियोजित भी हो सकती है क्योकि अचानक गिरफ्तारी संशय की स्थिती उत्पन्न कर रही है। मीडिया के समक्ष भी आरोपियों को नही लाया जा रहा है जो अपने आप में पुलिस भूमिका पर सवालिया निशान लगा रहा है।