फरीदाबाद। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशव्यापी आन्दोलन के तहत विभिन्न विभागों के कर्मचारियों ने समान काम के लिए समान वेतनमान देने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लागू करवाने की मांग को लेकर नगर निगम मुख्यालय पर सामूहिक धरना दिया। धरने के बाद कर्मचारियों ने प्रदर्शन करते हुए नीलम चौक तक जलूस निकाला। संघ के जिला प्रधान अशोक कुमार की अध्यक्षता में आयोजित इस धरने-प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भेजा गया। कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि अगर 10 दिसम्बर तक समान काम-समान वेतन के निर्णय को लागू नहीं किया और कर्मचारियों की अन्य लम्बित मांगों का समाधान नहीं किया तो 11 दिसम्बर को जींद में राज्यस्तरीय आक्रोश रैली का आयोजन किया जाएगा। जिसमें सरकार के खिलाफ बड़े आन्दोलन के निर्णय का ऐलान किया जाएगा। जिला सचिव द्वारा संचालित इस प्रदर्शन में सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा की केन्द्रीय कमेटी की ओर से महासचिव सुभाष लाम्बा व नरेश कुमार शास्त्री उपस्थित थे। प्रदर्शन में 26 अक्तूबर, 2016 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा समान काम के लिए समान वेतनमान देने के ऐतिहासिक फैसले को लागू करवाने, सभी प्रकार के पार्ट टाईम, डीसी रेट, अनुबंध, तदर्थ आधार पर लगे कर्मचारियों को पक्का करने, ठेका प्रथा समाप्त कर ठेकेदारों के मार्फत लगे कर्मचारियों को सीधा विभागों के रोल पर रखने, 45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिशों अनुसार आंगनवाड़ी, आशा व मिड-डे मील वर्करों को पक्का करने सहित इन्हें ईपीएफ व ईएसआई सहित सभी सामाजिक सुरक्षा लाभ देने की मांगों को प्रमुखता से उठाया गया। कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के महासचिव सुभाष लाम्बा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा सिविल अपील-213 ऑफ 2013 दिनांक २६ अक्तूबर, 2016 को समान काम के लिए समान वेतनमान देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ और न्यायमूर्ति एस ए बोबड़े की पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि समान कार्य के लिए समान वेतनमान की परिकल्पना संविधान के विभिन्न प्रावधानों के परिक्षण करने के बाद आई है। पीठ ने कहा है कि अगर कोई कर्मचारी दूसरे कर्मचारियों के समान काम या जिम्मेदारी निभाता है, तो उसे दूसरे कर्मचारियों से कम वेतनमान नहीं दिया जा सकता। पीठ ने कहा है कि कल्याणकारी राज्य में तो इस तरह का भेदभाव कतई नहीं किया जा सकता। पीठ ने इसे शोषणकारी, गुलामी, उत्पीडऩकारी और जबरदस्ती वाला होने के साथ-साथ न सिर्फ नीचा दिखाने वाला बल्कि मानवीय गरिमा की जड़ों पर चोट करने वाला बताया है। लेकिन इसके बावजूद भाजपा की सरकार इसे लागू नहीं कर रही है। संघ के वरिष्ठ उपप्रधान नरेश कुमार शास्त्री ने अपने सम्बोधन में कहा कि सरकार समान काम के लिए समान वेतनमान देने की बजाय अनियमित कर्मचारियों के वेतनमानों में 2.57 के गुणांक फैक्टर के अनुसार 10 प्रतिशत के आसपास बढ़ोतरी करने पर विचार कर रही है, जिसे कर्मचारी कतई सहन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ बोर्डों, निगमों, नगर निगमों, पालिकाओं, परिषदों व विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों को देने की कोई समयसीमा निश्चित नहीं की है। उन्होंने कहा कि गेस्ट टीचरों को नियमित नहीं किया जा रहा और न ही नवचयनित टीचरों को ज्वाईन करवाया जा रहा है। इसके विपरीत रिटायर्ड टीचरों को पुन: नियुक्ति देकर इन पर जले पर नमक छिडक़ने का कार्य किया जा रहा है। प्रदर्शन में कल पुलिस प्रशासन द्वारा डा. बी आर अम्बेडकर की मूर्ति हटाने पर इसका विरोध करने वाले दलितों पर बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज करने की घोर निंदा की गई।