फरीदाबाद। वर्तमान दौर में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण दमा का खतरा भी काफी बढ़ गया है। आसपास के परिवेश में बढ़ते प्रदूषण के स्तर के कारण शुद्ध वायु की कमी हो गई है जिसका सबसे ज्यादा असर दमा के मरीजों पर हुआ है। इनमें बच्चे और वृद्ध शामिल है इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। मौसम में बदलाव बच्चों को बीमारियां जल्दी ही अपनी चपेट में ले लेती है। ऐसे में बच्चों का खास ख्याल रखना चाहिए। अगर बच्चा स्कूल जाता है तो उसके स्कूल में उसका मेडिकल मुहैया कराना चाहिए। एशियन अस्पताल के श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. मानव मनचंदा का कहना है कि गेहूं की कटाई वाले दिनों में सांस के रोगियों की समस्या बड़ जाती है। इसके अलावा शहर में चल रहे फ्लाईओवर के निर्माण कार्य के चलते बड़ रहे प्रदूषण के कारण दमा रोगियों की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है। इनमें बच्चों से लेकर युवा और वृद्ध भी शामिल हैं। प्रतिदिन 14-20 वर्ष आयुवर्ग में 5, 10-15 आयुवर्ग में 10 और इससे अधिक आयुवर्ग के करीब 7 मरीज सांस संबंधी पेशानी लेकर उनके पास पहुंच रहे हैं। डॉ. मानव का कहना है कि अस्थमा का अटैक आने के बहुत सारे कारणों में वायु का प्रदूषण भी एक कारण है। अस्थमा के अटैक के दौरान सांस की नली के आसपास के मसल्स में कसाव और वायु मार्ग में सूजन आ जाता है। जिसके कारण हवा का आवागमन अच्छी तरह से हो नहीं पाती है। दमा के रोगी को साँस लेने से ज़्यादा साँस छोडऩे में मुश्किल होती है। एलर्जी के कारण श्वसनी में बलगम पैदा हो जाता है जो सांस लेने में परेशानी और बढ़ा देता है। एलर्जी के अलावा भी अस्थमा होने के बहुत से कारण हो सकते हैं। इनमें घर के आस-पास धूल भरा वातावरण, वायु प्रदूषण, घर के पालतू जानवर, रुई के बारीक रेशे, गेहूँ, आटा, कागज की धूल, फूलों के पराग, सुगंधित सौन्दर्य प्रसाधन, सर्दी, धू्रमपान, अधिक मात्रा में शराब पीना, जंक फूड का अत्याधिक सेवन व्यक्ति विशेष का कुछ विशेष खाद्द-पदार्थों से एलर्जी, महिलाओं में हार्मोनल बदलाव, कुछ विशेष प्रकार के दवाएं, सर्दी के मौसम में ज़्यादा ठंड, एलर्जी के बिना भी दमा का रोग शुरू हो सकता है। इसके अलावा तनाव या भय के कारण भी सांस संबंधी समस्या हो सकती है।
लक्षण-
सांस लेने में कठिनाई होती है।
सीने में जकडऩ जैसा महसूस होता है।
दमा का रोगी जब सांस लेता है तब एक घरघराहट जैसा आवाज होती है।
साँस तेज लेते हुए पसीना आने लगता है।
बेचैनी-जैसी महसूस होती है।
सिर भारी-भारी जैसा लगता है।
जोर-जोर से सांस लेने के कारण थकावट महसूस होती है। स्थिति बिगड़ जाने पर उल्टी भी हो सकती है आदि। जब अस्थमा के लक्षण काबू में न हो या फिर अटैक पर दवाओं का असर नहीं हो रहा हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
उपचार-
दमा की दवा सदा अपने साथ रखें।
सिगरेट-बीड़ी के धुंए से बचें।
जिन दवाओं, खाद्य पदार्थों और चीजों से आपको एलर्जी होती है उनसे दूर रहें।श्
सर्दी-जुकाम से पीडि़त मरीजों के संपर्क में जाने से बचें।
खान-पान की ओर विशेष ध्यान दें।
तनाव से बचें।
धूल-प्रदूषण वाले स्थानों पर जाने से परहेज करें।
नियमित व्यायाम करें।