फरीदाबाद। उच्चतम न्यायालय के आदेश का प्रभाव नजर आने लगा है। फरीदाबाद के लगभग ३५० उद्योगों का चक्का जाम होने से यहां ४ लाख से अधिक श्रमिक सडक़ पर आ गये हैं वहीं पर ४० करोड़ रूपये प्रतिदिन के उत्पादन और लाखों रूपये के राजस्व से भी सरकारों को हाथ धोना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने उद्योगों में फर्नैस आयल एवं पैट कोल के प्रयोग पर पूर्ण पाबंदी लगा दी है। यह पूरे एनसीआर पर एक नवम्बर से लागू हो गया है।उच्चतम न्यायालय के आदेश का सीधा प्रभाव प्रोसैसिंग युनिटों एवं फोरजिंग करने वाले संस्थानों पर पड़ा है। इनके बंद होने से फरीदाबाद, ओखला, दिल्ली, नोएडा एवं गुडग़ांव के एक्सपोर्ट हाऊस बुरी तरह से प्रभावित होंगे। उनके एक्सपोर्ट आर्डर समय पर पूरा करना एक बड़ी समस्या बन जाएगा। इतना ही नहीं यहां भी हजारों श्रमिक प्रभावित होंगे। फोरजिंंग युनिट बंद होने का प्रभाव आटोमोबाईल के मुख्य उद्योग जैसे मारूति, होण्डा, हीरो आदि पर भी पड़ेगा। एक बार आर्डर कैंसिल होने का अर्थ ब्लैक लिस्ट अर्थात इन उद्योगों एवं एक्सपोर्ट हाऊस के अस्तित्व को ही खतरा कहा जा सकता है। उद्योग प्रबंधक स्वयं उच्चतम न्यायालय के इस आदेश से हतप्रभ हैं। उनका कहना है कि न्यायालयल ने स्वयं उन्हें ३१ दिसम्बर २०१७ तक केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी मानक (स्टैडरिड) की पालना का समय दिया था जिसकी अनुपालना करने के लिये वे आज भी पूर्णतया कटिबद्ध हैं। उल्लेखनीय है कि न्यायालय के २ मई २०१७ के आदेशानुसार मंत्रालय ने ३० जून तक मानक तय करने थे जो उसने नहीं किये। ऐसा लगता है कि मंत्रालय की गलती की सजा न्यायालय ने उद्योगों को दे दी है। औद्योगिक संस्थानों की इस संकट से उबारने के लिये फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने उच्चतम न्यायालय में एक पुनर्विचार याचिका लगाई है जिसकी सुनवाई ६ नवम्बर तय हुई है। एसोसिएशन के कार्यकारी निर्देशक कर्नल शैलेन्द्र कपूर के अनुसार उद्योग बंद हो गये हैं। एक्सपोर्ट हाऊसों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। उद्योगों ने अपने संस्थान मानकों के अनुरूप ढालने के लिये करोड़ों रूपये का निवेश भी कर लिया था, ऐसे में न्यायालय को उद्योगों को समय तो देना ही चाहिए, ऐसा आपने विश्वास व्यक्त किया है।