फरीदाबाद। नगर निगम चुनाव के पश्चात एक बड़ा प्रश्र उभर कर सबके जहन में कौंध रहा है कि वैश्य समाज का सबसे बडा मसीहा कौन हैं। निगम चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवार को जिस तरह से केबिनट मंत्री विपुल गोयल जितवाने में कामयाब हुए हैं,इस बात से सिद्ध हो चुका हैं कि वर्तमान राजनीति में उन्होने जो वर्चस्व बनाया है,उसे किसी करिश्में से कमंतर नही आंका जा सकता हैं। हांलाकि ऐसा नही है कि कांग्रेसी नेता लखन ङ्क्षसगला राजनीतिक तौर पर कमजोर हैं परन्तु स्थिती के अनुरूप वह अपनी छाप वैश्य समाज पर छोडने में कामयाब नही हो पाए। जिसके नतीजे के तौर पर पारिवारिक विवाद को ताक पर रख कर अपने भतीजे रोहित सिंगला को निगम चुनाव में जीत दिलवाने के लिए पूरा दम लगा दिया परन्तु उन्हे हार का सामना करना पडा। राजनीति के अगर द्वितीय पहलू पर गौर किया जाए तो इसमें कोई दो राय नही हैं कि भाजपा से केबिनट मंत्री विपुल गोयल वैश्य समाज को साधने में कामयाब हो चुके है या फिर कह कि समयानुसार समाज द्वारा अपने आप को उनके साथ जोड कर देखने में अधिक सुरक्षित महसूस किया जा रहा हैं। साथ ही अगर एक बात पर पर गौर किया जाए तो इसमें कोई दो राय नही हैं कि अभी तक वैश्य समाज के पास वरिष्ठ कांग्रेसी नेता लखन कुमार सिंगला का कोई दूसरा विकल्प नही था ,परन्तु केबिनट मंत्री विपुल गोयल के राजनीति में आने के बाद खुलेतौर पर उन्हे एक ऐसा विकल्प मिल गया जो फिलहाल राजनीति में वैश्य समाज का परचम लहरा रहे हैं। वही दूसरी और यह बात तो जगजाहिर है कि कांग्रेसी नेता लखन कुमार ङ्क्षसगला और केबिनट मंत्री विपुल गोयल में छत्तीस का आंकडा है। जिसकी पुष्ठि स्वंय लखन ङ्क्षसगला सार्वजनिक मंचों पर करते आए है। एक बार तो उन्होने किसी निजी होटल में आयोजित कांग्रेस के पूर्व मंत्री की प्रैस-वार्ता में भाजपा केबिनट मंत्री विपुल गोयल के खिलाफ सबूत के साथ उनका पर्दाफाश का दावा किया था ,परन्तु अभी तक वह इसे प्रमाणित नही कर पाए रहे हैं। पर समय -समय पर उनके खिलाफ उन्होने इस बात का दावा पुख्ता रहा है कि उनके साथ व्यक्तिग दुश्मनी निभाई जा रही हैं। अभी हालफिलहाल में हुए निगम चुनाव में वैश्य समाज की न्यूतम सीट आने का ठीकरा भी उन्होने केबिनट मंत्री के माथे फोड दिया। खैर जो भी हो पर अब प्रश्र एक बार फिर वही बात पुन: दोहरा रहा है कि आखिर हालिया परिस्थिती में वैश्य समाज का मसीहा कौन हैं, अगर इस पहेली पर लखन सिंगला की बात को सिरे चढाया जाए जिसमें निगम चुनाव में न्यूनतम वैश्य समाज की सीट का आरोप केबिनट मंत्री पर है या फिर उस जीत का जो उन्होने अपने उम्मीदवारों को दिलवाई है,इसे लेकर संशय की स्थिती बनी हुई है जो समयानुसार स्वंय ही हल हो जायेगी।