Manoj Bhardwaj
फरीदाबाद। हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि मानव जीवन में धर्म का बहुत बडा महत्व है। भारत की पहचान साधु-संतों की भूमि के रूप में होती रही है। यहां के साधु संतों ने विश्व स्तर पर देश को नई पहचान दिलाई है। मोरारी बापू ने भी पूरे विश्व में ज्ञान के साथ-साथ भारतीय संस्कति का प्रचार करने का कार्य किया है। राज्यपाल बुधवार को सेक्टर-12 स्थित हुडा ग्राउंड में विश्व प्रसिद्ध रामकथा वाचक मोरारी बापू की श्रीरामकथा के पांचवे दिन हिस्सा लेने के बाद भक्तजनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बापू जी की कथा से भक्तजनों को अपार उर्जा मिलती है। इस कथा को सुनने के लिए विभिन्न क्षेत्रों से हजारों की संख्या में भक्तजन पहुंचे हैं। उन्होंने मोरारी बापू का अभिनंदन करते हुए कहा कि इस कथा में जैसा माहौल है, अगर हरियाणा व देश में भी ऐसा ही माहौल हो जाए तो यह धरा स्वर्ग के समान हो सकती है। उन्होंने कहा कि रामायण की रचना तो वाल्मीकि ने की थी, लेकिन 21वीं सदी में बापूजी इसे सबके मन में बसा रहे हैं। मोरारी बापू को देखकर स्वामी रामतीर्थ याद आते हैं। एक बार उन्हें इंग्लैंड में वहां की वेशभूषा पहनने का आग्रह किया गया, जिस पर उन्होंने सब कुछ पहना, लेकिन हैट नहीं पहना और कहा कि सिर पर तो भारत का गौरव व पहचान पगडी है। मानव रचना विश्वविद्यालय के बारे में उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय सिर्फ नाम से ही मानव रचना नहीं हैं, बल्कि यहां वास्तविकता में मानव निर्माण का कार्य हो रहा है। उन्होंने कहा कि लोकमान्य तिलक, स्वामी विवेकानंद को याद करो, जिनके मुख पर वंदे मातरम और हाथ में गीता होती थी। इसके बाद मोरारी बापू ने कथा के पांचवे दिन पनघटवृति तथा प्रभाव के तेज व स्वभाव के तेज के बारे में बताया। फिर उन्होंने श्री कृष्ण की मृत्यु का अनोखा विवरण दिया। बापू ने कहा- जिसमें अत्यंत क्रोध की भावना है उसमें अत्यंत करुणा की संभावना है। बापू ने मन की महाभारत के वर्णन में बताया, श्री कृष्ण से सरल चित्त आज तक विश्व में किसी का नहीं हुआ। कभी किसी संत को देखो तो ये मान लेना थोड़ी देर के लिए श्री कृष्ण को देख लिया। कृष्ण के महानिर्वाण का विवरण देते हुए बापू ने विस्तारपूर्वक एक-एक घटना का उल्लेख बेहद मार्मिकता से किया। बापू ने बताया कि तीन प्रकार के प्रभु का अवतरण होता है-पहला अवतार के रूप में, दूसरा बुद्ध पुरूष के रूप में तथा तीसरा ग्रंथ के रूप में। कथा के आखिर में बापू ने एक बार फिर मानव रचना शैक्षणिक संस्थान का धन्यवाद किया। इस अवसर पर मानव शिक्षण संस्थान की संरक्षिका सत्या भल्ला व चेयरमैन डा. प्रशांत भल्ला, वाइस प्रेजिडेंट डा. अमित भल्ला, सामाजिक व धार्मिक संगठनों के गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।