फरीदाबाद। औद्योगिक नगरी फरीदाबाद अब अपाधियों की नगरी बनता जा रहा है ,यदि इस तर्क को न्याय संगत तरीके से शब्दों से जोड दिया जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नही होगी। कयास यह लगाए जा रहे थे कि फरीदाबाद में कमिश्रनेट आने के बाद यहा से रणनीति के तहत किए जाने वाले अपराध पर अंकुश लगेगा परन्तु वर्तमान स्थिती अब और भी भयावह हो गई है। पुलिस का अपराधियों पर कोई नियत्र्ंाण नही रह गया है या फिर दूसरी स्थिती में कहा जाए तो अपराधी की मानसिकता से अब हालफिलहाल पुलिस व्यवस्था का खौफ मिट चुका है। खैर बात कोई भी हो पर यह तो स्पस्ट है कि पुलिस व्यवस्थाओं में खामिया बेहतरीन दिशा-निर्देश की कमजोरी का परिचार्यक है। हो भी क्यो नही क्योकि दिशा-निर्देश जारी करने वाले बडे पुलिस अधिकारी सिर्फ कागजो पर खानापूर्ति करने में लगे हुए है जबकि आज के दौर में शहर में अपराधी बेखौफ होकर अपराध को अजांम देने में लगे हुए है और जनता भय से भीतर तक सिमट कर अपने आप में रह गई है। जिस तरह से फरीदाबाद में कमिश्ररेट बनने के बाद से पुलिस की कार्यशैली में हाईटैक और मुश्तैदी की बात कही जा रही थी वह सिर्फ कागजो तक ही सिमट कर रह गई है। अपराधियों के हौसले बुंलद होने क पीछे एक मुख्य कारण यह भी रहा है कि फिलहाल कोई उचित दिशा-निर्देश करने वाला इस तरह का अधिकारी शहर को नही मिल पर रहा है जो अपने रणकौशल से शहर को सुरक्षा व्यस्था प्रदान कर सके। हांलाकि सिर्फ सुर्खियों बटोरने के लिए जनता दरबार ही नही लगाए जा रहे है बल्कि हफ्ते में एक दिन अपने दी हुई शिकायत की रूपरेखा के विस्तार जानने की योजना सभी सिर्फ अखबारों में छायाचित्र तक ही सिमट कर रह गई। जब तक पुलिस सुरक्षा योजना को कोई ठोस अमलीजामा नही पहनाया जायेगा तब तक शहर में अपराधी बेखौफ होकर अपराध को ही अजांम नही देगे बल्कि पुलिस दिशा-निर्देश पर भी सवालिया निशान लगाते रहेगे।