हरियाणा/फरीदाबाद। आयोजित बीजेपी प्रैस-वार्ता में प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला बेशक बीजेपी की उपलब्धियों के आधार पर फरीदाबाद निगम चुनाव में जीत का दावा कर गए पर टिकट वितरण सहित अन्य मुद्दों के जवाव गोलमोल कर सवालों से अपना किनारा कर लिया। अगर टिकट वितरण की बात की जाए तो केद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर के सुपुत्र देवेन्द्र चौधरी को टिकट दिए जाने को लेकर बीजेपी व्यापार प्रकोष्ठ से जुडे हुए जगदीश भाटिया के आरोपो को उन्होने एक सिरे से खारिज कर दिया या फिर कहे कि देवेन्द्र चौधरी को एक कार्यकत्ता के रूप में टिकट का जायज अधिकारी बता कर अपना पल्ला झाड लिया। उनकी बात का समर्थन करते हुए केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल भी दिखाई दिए। उनका भी दावा था कि देवेन्द्र चौधरी को इसलिए टिकट नही दिया गया है कि वह केन्द्रीय मंत्री के पुत्र है बल्कि उनकी उपलब्धियों और काफी समय से बीजेपी के कर्मठ कार्यकत्ता के रूप में पार्टी की नीतियों को आमजन तक पहुचाने के बाबत दिया गया हैं। खैर वजह जो भी हो पर संबधित निगम वार्ड से टिकट मांगने वालो की फहरिस्त बहुत लम्बी थी और सभी अपने आप को समक्ष उम्मीदवार का दावा कर रहे थे। इतना ही नही शहर में चर्चित निगम टिकट वितरण की प्रणाली को लेकर लग रहे प्रश्रचिन्ह जहां सेवा शुल्क के तौर 10000 हजार रूपये की बात कही जा रही थी उसे भी प्रदेशाध्यक्ष ने खारिज कर दिया। वही केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर पर अपने समुदाय के लगभग 12 लोगों को टिकट वितरण किए जाने के आरोप का खंडन भी अध्यक्ष द्वारा किया गया। उनका साथ देते हुए केन्द्रीय मंत्री ने भी साफ कर दिया कि पार्टी नियमों के आधार पर टिकट वितरण किया गया है जबकि यह जगजाहिर हैं कि टिकट वितरण प्रणाली में जहां कृष्णपाल गुर्जर और सीमा त्रिखा के साथ केबिनट मंत्री विपुल गोयल का दबदबा रहा वही बल्लाभगढ के विधायक मूलचंद की सिफारिश को दरकिनार किया गया था। प्रैस-वार्ता में विधायक मूलंचद शर्मा का चेहरा फीका पड हुआ था क्योकि निगम चुनाव में उनके किसी भी समर्थक को टिकट नही दिया गया या फिर कहे कि ना के बराबर ही माना जाए। खैर जो भी हो यह तो बीजेपी पार्टी का अपना मसला है पर अब देखना यह है कि नोटबंदी के दौर में बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर लड रहे प्रत्याशी कितनी सफलता प्राप्त करेगे।