मामलें मे राजनीतिक पहुलओं को नही किया जा सकता अनदेखा
फरीदाबाद। शहर में चर्चित व्यापारी सतीश गोयल आत्महत्या मामले में एक नवीन पहलु सामने उजागर होने से शहर के कई नामी बिल्डर और फाइनेंसरों और सत्ताधारियों पर इसकी गाज गिर सकती है। आत्महत्या मामलें में मृतक के सुसाइड नोट मिलने से यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि एक उचले स्तर का अनछुआ खेल स्थानीय क्षेत्र में आम हो चुका है और जिसकी गर्द में वो लोग समा रहे है,जिन्होने अपनी मेहनत की कमाई इन लोगो को दे रखी थी। हालांकि शहर में इस तरह की घटना आम हो चुकी है,जहां नामी बिल्डर कंपनी और फाइनेंसर आम लोगो को मोटे मुनाफे का लालच देकर उन्हे भ्रमित करते है और बाद में उनकी कमाई को डकार कर उन्हे मौत के हवाले कर रहे है। अभी हालफिलहाल वाक्य से पूर्व यदि विग्त समय पर ध्यान केद्रित किया जाए तो कुछ बिल्डर धोखाधडी के मामलें में जेल की हवा भी खा चुके है या कुछ इस तरह के मामलें भी है जहां मिलीभगत कर इन पर एफआईआर कर खानपूर्ति कर दी गई है। रसूकदार इन बिल्डर और फाइनेंसरों के समक्ष पुलिस प्रशासन भी बेबस दिखाई पडता है क्योकि इनके उच्च स्तरीय अधिकारियों और सत्ताधारी राजनीतिज्ञों से सांठगांठ के चलते यह कानूनी दावपेचों से आसानी से निकल रहे है। जिसकी मार सीधे सीधे तौर पर आमजन अपनी जान गवंाकर झेल रहा है। मृतक सतीश गोयल मामलें में अब यह देखना है कि सुसाइड नोट में जिन लोगों के नाम को शामिल किया है उन पर कार्रवाही के नाम पर खानूपर्ति की जाती है या वाकई ठोस कदम उठाए जायेगे। चर्चा यह भी है कि भूमिगत आरोपी अपने बचाव में उन राजनितिक पहलुओं पर भी गौर कर रहे है, जिनसे साथ इनके मधुर सबंध जगजाहिर है। अब तो समय ही यह तय करेगा कि इसंाफ के लिए लड़ रहे लोगो की जीत होगी या फिर इस कांड की तरह अन्य रसूकदार बिल्डर और फाइनेंसर जनता से ठगी करते रहेगे।