फरीदाबाद/सूरजकुंड। सूरजकुंड मेंले में राजस्थान के कारीगरों द्वारा बनाए गए तीरकमान युवाओं को अपनी ओर क्रेजी कर रहे हैं, तीरअंदाजी में खासी दिलचस्पी रखने वाले युवा इन तीरकमानों को चलाने की कला और इसकी बारीकियों को काफी गहराई से पूछते नजर आए। राजस्थान की धरती के बांसवाड़ा से ताल्लुक रखने वाले और राजपुताना परंपरा को आगे बढाने वाले रामलाल ने बताया कि वे इस मेले मेें पहली बार आए हैं और उन्होंने इतना क्रेज हरियाणा के युवाओं मेंं तीरअंदाजी को लेकर पहली बार देखा है। उन्होंने बताया कि उनके पूर्वजों द्वारा तीरकमान बनाने का यह काम काफी सालों पहले शुरू किया था। उनके भाई विठ्ठल ने इस परंपरा को आगे बढाया और इसमें नए प्रयोग के साथ मुडऩे वाला धनुष बनाया जो कि तीन परतों में फोल्ड किया जा सकता है और इसे मोडक़र किसी थैले मेंं भी डाला जा सकता है। ऊपर व नीचे की तरफ बांस का प्रयोग किया जाता है और बीच में वार्ड लगाया जाता है। तीनों को जोडक़र ही इसे बनाया जाता है। घर को सजाने की चाह रखने वाले और खरीददारी करने वाले लोगों के लिए सूरजकुंड मेला हर बार कुछ ना कुछ सौगात जरूर लेकर आता है। यह उन हाथों की जादूगरी और हुनर का ही कमाल है जिनकी बनाई हुई चीजों से लोगों के घर सजावट होती है। किसी के हाथ से बनी चीज अगर किसी के घर की शोभा बने तो यह उस कलाकार के लिए भी बहुत सकुन भरी बात होती है कि उसकी चीजों के कद्रदान आज भी हैं और उनमें कमी भी नहीं आने वाली। मेले में घरों की शोभा बढाने वाली वस्तुओं पर सबसे ज्यादा भीड़ दिखाई दे रही है और महिलाए एक से बढकर एक वस्तुएं खरीदने को आतुर रहती हैं। चद्दरों से लेकर बर्तन, विंदरवाल,लटकन इत्यादि वस्तुओं की मेेंले में भरमार है। बेजोड़ कलाकृतियों को लेकर महिलाएं काफी संजीदा हैं। इन वस्तुओं को जहां घर में सुविधाओं के लिहाज से भी खरीदा जाता है,वहीं इनसे घर मेंं सकुन की अपेक्षा भी महिलाएं करती हैं। यहां तक की इनकी खरीद में वास्तु शास्त्र का भी पूरा सहारा लिया जा रहा है। घर को सुरक्षित और शांतिमय किस तरह से बनाया जाए या किस दिशा में कौन सी चीज लगाई जाए जिससे ये प्रभाव हो ऐसी बातों का विशेष ध्यान रखकर चीजें खरीदी जा रही हैं। होमआटोमेशन में किस तरह से तकनीकों का सहारा लेकर सुरक्षात्मक माहौल देने के साथ-साथ लाईटिंग और इनके उपकरणो का कम से कम प्रयोग कर बिजली बचत को भी लेकर लोग काफी उत्साहित नजर आते हैं।चौपाल पर दर्शकों का हुजूम, पार्किंग में हाउसफुल का नजारा और सडक़ों पर जाम के हालात…। रविवार को सूरजकुंड मेले में कुछ यही नजारा देखने को मिला। उ मीद के मुताबिक मेले में अंतिम छुट्टी का असर साफ देखने को मिला। मेला परिसर में जहां चौपाल से लेकर फूडकोर्ट और स्टालों से लेकर नाट्यशाला तक दर्शकों की भीड़ दिखाई दी। वहीं मेले के बाहर सडक़ों पर सुबह से शाम तक जाम के हालात बने रहे। मेले में रविवार को दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ी। मेले में दिनभर करीब पौने दो लाख से दर्शकों ने शिरकत की। आलम ये रहा कि सूरजकुंड रोड पर सुबह से शाम तक वाहनों की लंबी कतार लगी रही। इसके चलते मेले में आने वाले दर्शकों को घंटों जाम से जूझना पड़ा। हालांकि ट्रेफिक व्यवस्था संभालने के लिए भारी तादाद में पुलिस बल मौजूद था। लेकिन इसके बावजूद सडक़ पर दिनभर वाहन रेंगते रहे। सुबह से शाम तक मेले में लोगों के आने का सिलसिला जारी रहा। मेले में भीड़ की वजह से लोगों को गाडिय़ां पार्क करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। दोपहर तक ज्यादातर पार्किंग की जगह भर चुकी थी। पार्किंग में जगह ढूंढने के लिए लोगों को दोपहर बाद भटकना पड़ा। वहीं सडक़ पर जाम के चलते ऑटो को मेले का पार्किंग क्षेत्र शुरू होने से पहले ही रोक दिया जा रहा था। एेसे में दर्शकों को मेले में प्रवेश लेने के लिए पैदल ही काफी दूरी तय करनी पड़ी। मेला में आई इस भीड के कारण मेला में लगाए गए सभी स्टालों पर जबरदस्त खरीदारी होती दिखाई दे रही थी्र। कुछ स्टाल संचालकों का कहना था कि उनके स्टाल में आज कुछ विशेष आईटम समाप्त हो चुकी हैं लोगों द्वारा कुछ विशेष आइटम की ज्यादा मांग रही। इन संंचालकों का कहना था कि कल इन विशेष आइटमों को दौबारा से रखा जाएगा और कुछ लोगों ने इन संचालकों के यहां इन विशेष आइटमों को बुक करवा दिया है। इसी प्रकार, नाम के छल्ले, चावल के दाने पर नाम के छल्ले, विशेष साइज के झॅूल्ले तथा अन्य सामान को बुक किया गया है जो आने वाले एक या दो दिन में खरीदारों को दिया जाएगा। मेले की मेन चौपाल पर छुट्टी का दिन होने की वजह से दर्शकों की भारी भीड़ जुटी रही। खचाखच भरे चौपाल पर देशी-विदेशी कलाकारों ने खूबसूरत परफॉर्मेंस देकर समां बांधा। सबसे पहले झारखंड के कलाकारों ने संथाली नृत्य के जरिए लोककला को पेश किया। इसके बाद मिस्र के कलाकारों ने तमूरा नृत्य पर खूबसूरत प्रस्तुति दी। तजिकिस्तान के कलाकारों ने नवोच दोस्तोय पर सुंदर परफॉर्मेंस देकर दोस्ती के एहसास का रंग घोला। किग्रिस्तान के कलाकारों ने माश्तबतोई की शानदार परफॉर्मेंस दी। छोटी चौपाल पर स्कूली बच्चों और दर्शकों ने जमकर मस्ती की। एंकर जयभगवान कंबोज ने स्कूली बच्चों की भीड़ देखते हुाए खासतौर पर छोटी-छोटी कहानियां सुनाकर नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया। साथ ही उन्हें अच्छा वहीं महिलाओं ने यूजिकल चेयर में भाग लिया। राजस्थान, झारखंड और पंजाब के कलाकारों ने चौपाल पर सभी को झूमने पर मजबूर किया। चौपाल की शाम को तेलंगाना के कलाकारों ने रंगारंग कार्यक्रम पेश कर खास बनाया। तेलंगाना से कलाकारों ने बोनालू नृत्य की खूबसूरत प्रस्तुति देकर खूब वाहवाही लूटी। साथ ही युद्ध के दौरान होने वाले खास के जरिए वीरता और शौर्य का परिचय दिया। चौपाल पर दर्शकों ने इस खास प्रस्तुति का खूब लुत्फ उठाया।